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कभी आपने ऐसी फिल्म देखी है जहाँ कहानी से ज़्यादा किरदार चिल्ला रहे हों? जहाँ डायलॉग से ज़्यादा बैकग्राउंड म्यूजिक हो, और जहाँ दर्शकों को हँसी आये या दर्द – ये तय करना मुश्किल हो? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं 2025 की सबसे बड़बोली कॉमेडी ‘हाउसफुल 5’ की, जो सिनेमाघरों में उतरी है, पूरे देश को हँसी का इंजेक्शन देने… या शायद सिरदर्द का।
अक्षय कुमार वापस आ चुके हैं — वही पुराने राजाओं की तरह, जिन्हें लॉजिक से ज़्यादा लाफ्टर पसंद है। उनके साथ रितेश देशमुख हैं, जो पिछली चार फिल्मों की तरह एक बार फिर बिचारा बने हैं, और इस बार पार्टी में शामिल हैं अभिषेक बच्चन भी — जो इतने सालों बाद कॉमेडी के मैदान में लौटे हैं, जैसे क्रिकेटर चोट के बाद मैदान में उतरे हों। इनके अलावा चंकी पांडे, सोनम बाजवा, जैकलीन फर्नांडिस और नारगिस फाखरी जैसे चेहरे हैं, जो स्क्रीन पर ऐसे नाचते हैं मानो कहानी तो भूल ही जाएँ, बस डांस चलता रहे।
फिल्म की शुरुआत होती है एक शादी से — नहीं, दो शादियाँ — नहीं, रुकिए, पाँच! जी हाँ, पाँच जोड़े, पाँच गड़बड़झाले, और पाँच गुंडे जिनकी वजह से पूरा हाउसफुल ब्रह्मांड हिला हुआ है। कहानी क्या है? मत पूछिए। एक लाइन में कहें तो — “शादी करनी है, दूल्हा कौन है पता नहीं, और जो है, वो भी शायद नकली है।”
जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, हँसी के नाम पर स्क्रिप्ट से ज़्यादा फिसलने लगते हैं किरदार। एक पल में अक्षय अपने ही भाई की बहन की शादी में दूल्हा बन जाते हैं, तो दूसरे पल में जैकलीन ऐसी ड्रेस में एंट्री करती हैं कि कैमरा भी शर्म से झुक जाए। संवादों में डबल मीनिंग का मेला है — हर लाइन पर लगता है जैसे लेखक ने WhatsApp जोक्स का पूरा पिटारा खोल दिया हो।
लेकिन ठहरिए... फिल्म का सबसे बड़ा एक्सपेरिमेंट आता है अंत में। जी हाँ, इस बार हाउसफुल 5 में दो अलग-अलग एंडिंग्स हैं — “हाउसफुल 5A” और “हाउसफुल 5B”। यानी आपने अगर एक बार फिल्म देख ली, तो भी दूसरी बार जाकर अलग क्लाइमेक्स मिलेगा। एक में हीरो जीतता है, दूसरे में शादी कैंसिल हो जाती है। कुछ दर्शक बोले, “क्या बात है! पैसा वसूल!” और कुछ बोले, “अरे भाई, एक भी एंडिंग झेलनी मुश्किल थी, दो क्यों दे दीं?”
फिल्म के म्यूजिक की बात करें तो वो उतना ही यादगार है जितनी बारिश में भीगी रद्दी। तीन गाने सुनने में अच्छे लगते हैं, लेकिन चौथे तक आते-आते आप खुद से पूछते हैं, “क्या ये गाना पिछली फिल्म में भी था?” लेकिन अक्षय कुमार की एनर्जी, रितेश की मासूमियत, और चंकी पांडे का “आखरी पास्ता” अंदाज़ कुछ पल के लिए जरूर हँसाता है।
बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने गदर मचा दिया है — पहले ही वीकेंड में ₹90 करोड़ से ज़्यादा का कलेक्शन। सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही है — कोई कहता है “हँसी का पागलपन”, तो कोई कहता है “डायरेक्ट ब्रेन डैमेज”। समीक्षकों ने ज्यादा मोहलत नहीं दी — ज़्यादातर रिव्यू 2.5 या 3 स्टार से ऊपर नहीं गए। परंतु दर्शक जिन्हें सिर्फ टाइमपास चाहिए — उनके लिए ये फिल्म एक परफेक्ट विकेंड डोज़ है।
तो अंत में निष्कर्ष क्या है? अगर आप फिल्म में लॉजिक ढूँढने निकले हैं — तो भाई, घर से GPS लेकर निकलिए, वरना रास्ता भटक जाएगा। लेकिन अगर आप 2 घंटे सिर्फ ठहाके, चिल्ल-पों, रंग-बिरंगी शादियाँ, और डांस नंबर के बीच अपना दिमाग बंद कर हँसना चाहते हैं — तो हाउसफुल 5 आपके लिए है।
कुल मिलाकर, हाउसफुल 5 एक ऐसी दावत है जहाँ खाना बेस्वाद है लेकिन DJ इतना तेज़ है कि लोग फिर भी नाच रहे हैं। एक मसालेदार कॉमेडी जिसे देखकर समझ नहीं आता — “हम हँस क्यों रहे हैं… लेकिन हँसी आ रही है।”
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