उत्तराखंड के केदारनाथ धाम से लौटते समय तीर्थयात्रियों को ले जा रहा एक हेलीकॉप्टर शनिवार सुबह क्रैश हो गया। यह दुर्घटना तब हुई जब हेलीकॉप्टर ने केदारनाथ से गुप्तकाशी के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन कुछ ही मिनटों के भीतर उसका संपर्क कंट्रोल रूम से टूट गया। हेलीकॉप्टर के लापता होने की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस, SDRF और NDRF की टीमें तुरंत एक्टिव हो गईं और सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया।
घटनास्थल गौरीकुंड और त्रिजुगी नारायण के कठिन पहाड़ी क्षेत्र के बीच बताया जा रहा है, जहाँ पहुंचना आसान नहीं है। घंटों खोजबीन के बाद बचाव दल को हेलीकॉप्टर का मलबा घने जंगलों के बीच मिला। शुरुआती जांच में ही 5 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी थी। यह हादसा बेहद दर्दनाक और झकझोर देने वाला है क्योंकि इसमें श्रद्धालु शामिल थे जो बाबा केदार के दर्शन करके लौट रहे थे।
यह हेलीकॉप्टर अर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड का था, और इसके भीतर कुल 7 लोग सवार थे – जिनमें 5 यात्री, 1 पायलट और एक अन्य स्टाफ शामिल था। अब तक मिली जानकारी के अनुसार मृतकों में 4 वयस्क और 1 बच्चा शामिल हैं। शवों की शिनाख्त का काम जारी है। पुलिस और मेडिकल टीम शवों को बाहर निकालने में लगी हुई है, और उन्हें गुप्तकाशी या ऋषिकेश पोस्टमार्टम के लिए लाया जाएगा।
मौसम को इस दुर्घटना की मुख्य वजह माना जा रहा है। केदारनाथ धाम और उसके आसपास का मौसम सुबह के समय काफी तेजी से बदलता है और अचानक घना कोहरा, बारिश या तेज हवा चलने लगती है। हेलीकॉप्टर के पायलट ने शायद उड़ान भरते समय मौसम को स्थिर मान लिया हो, लेकिन बाद में खराब दृश्यता या तकनीकी खराबी के कारण हादसा हो गया।
चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवा का बहुत अधिक उपयोग होता है, खासकर बुजुर्ग और असहाय यात्रियों के लिए। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लगातार हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं एक चिंता का विषय बन चुकी हैं। इस साल 2025 की ही बात करें तो यह चौथी या पाँचवीं ऐसी घटना है जब हेलीकॉप्टर सेवा के दौरान किसी प्रकार की दुर्घटना हुई हो।
इससे पहले मई और जून महीने में हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग, रोटर डैमेज, एयर एंबुलेंस की क्रैश लैंडिंग जैसी घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में DGCA (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) और उत्तराखंड सिविल एविएशन अथॉरिटी को सवालों का सामना करना पड़ रहा है। क्या पर्याप्त सुरक्षा जांच होती है? क्या मौसम की सटीक जानकारी पायलट को दी जाती है? क्या उड़ानों की संख्या कम करनी चाहिए?
हेलीकॉप्टर सेवा के माध्यम से तीर्थयात्रा एक बड़ी सुविधा है, लेकिन अब यह स्पष्ट हो चुका है कि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भारी खामियाँ हैं। हादसों से न सिर्फ लोगों की जान जाती है, बल्कि उनके परिवारों की आस्था और भरोसा भी टूट जाता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर गहरा दुख जताया है और मृतकों के परिवारों को हरसंभव मदद देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने हेलीकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा व्यवस्था की पुनः समीक्षा करने के आदेश भी दे दिए हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार की टीमें हादसे के पीछे की वजहों की जांच में जुट गई हैं।
यह घटना एक गंभीर चेतावनी है – खासकर तब जब हर साल लाखों श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए आते हैं। भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को उड़ानों की संख्या सीमित करनी होगी, मौसम को लेकर और सख्त मानदंड बनाने होंगे और हर हेलीकॉप्टर की टेक्निकल फिटनेस की गहन जांच अनिवार्य करनी होगी।
इस हादसे ने न सिर्फ 5 परिवारों को उजाड़ दिया है, बल्कि उत्तराखंड की हवाई सुरक्षा व्यवस्था पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। तीर्थयात्रा के नाम पर अगर जान का जोखिम उठाना पड़े, तो यह व्यवस्था की नाकामी ही मानी जाएगी। जरूरत इस बात की है कि अब केवल भगवान के भरोसे नहीं, बल्कि सख्त नियमों और जवाबदेही के सहारे यात्रा को सुरक्षित बनाया जाए।
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