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Saturday, June 14, 2025

NEET UG 2025: एक गहन विश्लेषण

 



NEET UG यानी National Eligibility cum Entrance Test (Undergraduate) भारत की सबसे बड़ी और सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल प्रवेश परीक्षा बन चुकी है। हर साल लाखों छात्र डॉक्टर बनने के अपने सपने को साकार करने के लिए इस परीक्षा में बैठते हैं। 2025 का NEET UG परीक्षा भी इससे अलग नहीं रहा। इस वर्ष इस परीक्षा में करीब 24 लाख से अधिक छात्रों ने भाग लिया, जो अब तक की सबसे अधिक उपस्थिति में से एक थी। परीक्षा का आयोजन 5 मई 2025 को राष्ट्रीय स्तर पर किया गया और इसे सफलतापूर्वक NTA (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) द्वारा आयोजित किया गया। परीक्षा पेन और पेपर मोड में थी और देश के हज़ारों परीक्षा केंद्रों पर एक ही दिन में आयोजित की गई।


NEET UG 2025 का पैटर्न पिछले वर्षों जैसा ही रहा, लेकिन इस बार विद्यार्थियों को थोड़ी अधिक तैयारी की आवश्यकता महसूस हुई। प्रत्येक विषय – फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी – को दो हिस्सों में बांटा गया था, जिसमें एक भाग अनिवार्य था और दूसरे भाग में वैकल्पिक प्रश्न शामिल थे। कुल 200 प्रश्नों में से छात्रों को 180 प्रश्न हल करने होते हैं। प्रश्न पत्र को हल करने के लिए कुल तीन घंटे बीस मिनट का समय दिया गया। इस वर्ष का प्रश्नपत्र सामान्य से कठिन माना गया, विशेषकर फिजिक्स और केमिस्ट्री के कुछ सेक्शन ने छात्रों को सोचने पर मजबूर कर दिया। वहीं, बायोलॉजी अपेक्षाकृत सरल और सीधा रहा, जो कि अधिकांश छात्रों के लिए राहत की बात थी।


परीक्षा के बाद छात्र और विशेषज्ञ दोनों ही इस बात पर सहमत थे कि पेपर में NCERT से काफी सवाल पूछे गए थे, लेकिन कुछ प्रश्न ऐसे भी थे जो गहराई से अध्ययन करने वाले छात्रों को ही समझ में आ सकते थे। विशेष रूप से फिजिक्स के न्यूमेरिकल और केमिस्ट्री के वैकल्पिक प्रश्नों में उलझन ज्यादा रही। परीक्षा के कुछ ही दिनों बाद, NTA ने प्रोविजनल उत्तर कुंजी जारी की, जिस पर छात्रों को आपत्ति दर्ज कराने का अवसर भी मिला। बहुत से छात्रों ने यह भी शिकायत की कि कुछ सवाल अस्पष्ट या गलत थे, जिससे फिर से उत्तर कुंजी पर विवाद शुरू हो गया।


शिकायतों के निपटान के बाद फाइनल उत्तर कुंजी और परिणाम 31 मई 2025 को जारी किए गए। इस बार की कटऑफ पिछले वर्षों के मुकाबले थोड़ी अधिक गई, जो इस बात को दर्शाती है कि प्रतियोगिता और कठिनाई का स्तर लगातार बढ़ रहा है। सामान्य वर्ग के लिए कट-ऑफ स्कोर लगभग 138 से 720 के बीच गया, जबकि आरक्षित वर्गों के लिए यह 108 से 137 के बीच रहा। इतना ही नहीं, इस बार कई छात्रों ने 700 से ऊपर अंक प्राप्त किए, जिससे टॉप मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाना और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।


NEET UG के परिणाम आने के बाद अब छात्रों के सामने सबसे अहम चरण आता है – काउंसलिंग और कॉलेज का चयन। NEET के माध्यम से देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू होती है। कुल सीटों में से 15 प्रतिशत सीटें अखिल भारतीय कोटे (AIQ) के अंतर्गत आती हैं और शेष 85 प्रतिशत सीटें संबंधित राज्यों के लिए आरक्षित होती हैं। AIQ के तहत देश के प्रतिष्ठित संस्थान जैसे AIIMS, JIPMER, BHU, AMU आदि की सीटें आती हैं। काउंसलिंग की प्रक्रिया MCC (Medical Counselling Committee) द्वारा आयोजित की जाती है और इसके लिए छात्र को समय पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होता है। वहीं, राज्य सरकारें अपनी-अपनी काउंसलिंग प्रक्रिया आयोजित करती हैं, जिसमें स्थानीय डोमिसाइल नीति लागू होती है।


इस साल के टॉपर्स की बात करें तो दिल्ली के आदित्य मेहता ने पूरे देश में टॉप किया और उन्होंने 720 में से 716 अंक प्राप्त किए। आदित्य का कहना है कि उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बनाकर सिर्फ NCERT पर फोकस किया और हर टॉपिक को रिवीजन किया। उनकी इस सफलता की कहानी उन लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं। इस वर्ष कई ऐसे छात्र भी सामने आए जो आर्थिक या सामाजिक रूप से कमजोर थे, लेकिन उन्होंने लगन और मेहनत से सफलता अर्जित की।


हालांकि परीक्षा और परिणाम के साथ कुछ विवाद भी सामने आए। कुछ राज्यों से पेपर लीक की अफवाहें आईं, विशेष रूप से बिहार और राजस्थान में कुछ वायरल व्हाट्सएप चैट्स ने माहौल को गर्मा दिया। हालांकि NTA ने स्पष्ट किया कि परीक्षा पूरी तरह से सुरक्षित रही और किसी भी तरह की पेपर लीक की घटनाएं प्रमाणित नहीं हुईं। इसके अलावा, आरक्षण व्यवस्था को लेकर भी छात्रों में नाराज़गी देखी गई। कुछ सामान्य वर्ग के छात्रों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर यह सवाल उठाया कि अगर उनके नंबर 680 या उससे अधिक भी हैं, फिर भी उन्हें मनचाहा कॉलेज नहीं मिल पा रहा, तो ऐसी प्रणाली में योग्यता का क्या स्थान है?


NEET UG 2025 के आयोजन ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि भारत में मेडिकल प्रवेश परीक्षा किस स्तर पर पहुंच चुकी है। अब सिर्फ कोचिंग और किताबें काफी नहीं, बल्कि मानसिक तैयारी, अनुशासन और आत्मविश्वास भी ज़रूरी हैं। जो छात्र इस बार सफल नहीं हो पाए हैं, उनके लिए यह असफलता नहीं, बल्कि एक सीख है। 2026 में होने वाली NEET परीक्षा के लिए तैयारी आज से ही शुरू करनी होगी, क्योंकि अब प्रतियोगिता सिर्फ नंबरों की नहीं, समझ, रणनीति और धैर्य की भी है।


NEET UG अब सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि एक जीवन की दिशा तय करने वाला पड़ाव बन चुका है। यह युवाओं को डॉक्टर बनने का अवसर तो देता ही है, साथ ही उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में भी विकसित करता है। आने वाले वर्षों में, यदि पारदर्शिता और गुणवत्ता को इसी तरह बनाए रखा जाए, तो यह भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक सशक्त नींव साबित होगी।



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